Sunday 9 September 2018

एक हवा

एक हवा थी हल्की-हल्की
एक हवा थी भारी
एक हवा चुपके से आई
एक ने धूल बुहारी

एक हवा थी ठंडी-ठंडी
एक थी गरम भभूका
एक हवा खुशियाँ ले आई
एक दुखों का झोंका

एक हवा थी खुशबू वाली
आई आ कर चली गई
एक हवा है सच्ची-सादी
साँस साँस में बसी हुई

-श्याम सुशील
(1957)

No comments:

Post a Comment