Sunday 9 September 2018

बंदर-मस्त कलंदर

बंदर-बंदर
मस्त कलंदर
क्यों बैठे हो
डाली पर

‘चलो उतरकर
आओ अंदर
काँप रहे हो
तुम थर थर’

बंदर बोला-
अरे मुछंदर
कभी न मैं
आऊँ अंदर
डम-डम-डमडम
डमरू ले कर
मुझे नचाओगे
दिन भर

-सूर्य कुमार पांडेय
 (1956)

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