दही-बड़े हम दही बड़े
दौड़े आओ, मत शरमाओ
खाओ भाई खड़े-खड़े
स्वाद मिलेगा कहीं न ऐसा
चखकर देखो फेंको पैसा
टाफी-च्यूंगम, आइसक्रीम के
पल में लो झंडे उखड़े
अजब-अनोखा रंग जमाया
डंका हमने खूब बजाया
आ ठेले पर, खड़े हुए हैं
लाला, बाबू बड़े-बड़े
अपनी मस्ती, अपनी हस्ती
खा करके आती है चुस्ती
तबियत कर दें खूब झकाझक-
अगर कोई हमसे अकड़े
पेड़ा, बरफी चित्त पड़े हैं
रसगुल्ले उखड़े-उखड़े हैं
भला किसी की यह मजाल
जो आकर के हमसे झगड़े
-प्रकाश मनु
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