Sunday 9 September 2018

चरखा बोले चर्रक चूँ

चरखा बोले चर्रक चूँ
चर्रक चूँ भई चर्रक चूँ

इसे चलाया गांधी ने
धूम मचादी खादी ने
अब न रहे गांधी बाबा
दे कर मन्तर हो गए छू

सभी दिखाते अपने हाथ
इक दूजे को देते मात
सर सर सर सर सूत कते
तकली नाचे ढुम्मक ढूँ

सूत बिका बाजार में
बँधे सभी इक तार में
दूर दूर तक जा पहुँचा
बम्बई, सूरत, टिम्बकटू

-इन्दिरा गौड़
  (1943)

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