चरखा बोले चर्रक चूँ
चर्रक चूँ भई चर्रक चूँ
इसे चलाया गांधी ने
धूम मचादी खादी ने
अब न रहे गांधी बाबा
दे कर मन्तर हो गए छू
सभी दिखाते अपने हाथ
इक दूजे को देते मात
सर सर सर सर सूत कते
तकली नाचे ढुम्मक ढूँ
सूत बिका बाजार में
बँधे सभी इक तार में
दूर दूर तक जा पहुँचा
बम्बई, सूरत, टिम्बकटू
-इन्दिरा गौड़
(1943)
चर्रक चूँ भई चर्रक चूँ
इसे चलाया गांधी ने
धूम मचादी खादी ने
अब न रहे गांधी बाबा
दे कर मन्तर हो गए छू
सभी दिखाते अपने हाथ
इक दूजे को देते मात
सर सर सर सर सूत कते
तकली नाचे ढुम्मक ढूँ
सूत बिका बाजार में
बँधे सभी इक तार में
दूर दूर तक जा पहुँचा
बम्बई, सूरत, टिम्बकटू
-इन्दिरा गौड़
(1943)
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