Sunday 9 September 2018

जागो प्यारे

उठो लाल, अब आँखें खोलो
पानी लायी हूँ, मुँह धो लो
बीती रात कमल-दल फूले
उनके ऊपर भौंरे झूले
चिड़ियाँ चहक उठिं पेड़ों पर
बहने लगी हवा अति सुन्दर
नभ में न्यारी लाली छायी
धरती ने प्यारी छवि पायी
भोर हुआ सूरज उग आया
जल में पड़ी सुनहरी छाया
ऐसा सुन्दर समय न खोओ
मेरे प्यारे अब मत सोओ

-अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध

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